साईं नाथ की पूजा विधि और व्रत कैसे करें

साईं नाथ की पूजा विधि और व्रत कैसे करें

साईं नाथ की पूजा विधि और व्रत कैसे करें

गुरुवार का दिन खास माना जाता है क्योंकि इस दिन को साईं नाथ का दिन माना जाता है।

लाखों की संख्या में साईं नाथ के मंदिरों में श्रद्धालुओं की उपस्थिति होती है।

इनमें से सबसे प्रसिद्ध शिरडी में स्थित साईं बाबा का मंदिर माना जाता है।

साईं नाथ की पूजा विधि और व्रत कैसे करें

श्रद्धालु गुरुवार के दिन साईं नाथ मंदिर में पहुंच जाते हैं।

अगर आप भी साईनाथ को प्रसन्न करना चाहते हैं और अपनी इच्छा को पूरी करवाना चाहते हैं तो चलिए जानते हैं कि साईं नाथ की पूजा विधि और व्रत कैसे करे ?

साईनाथ काफी दयालु है। हम जानते हैं कि उनके दो अनमोल वचन है श्रद्धा और सबुरी।

इनके वचनों का हमेशा मान रखें और व्रत भी रखेंगे तो साईनाथ जरूर प्रसन्न होंगे और आपकी सारी इच्छा पूरी करेंगे।

पूजा और उपवास करने की क्रिया बेहद आसान है। इसे हर कोई कर सकता है।

साईं नाथ की पूजा विधि और व्रत कैसे करे-  व्रत को सही ढंग से करने से हम साईनाथ को प्रसन्न कर सकते हैं।

साईं नाथ का व्रत कौन कर सकता है?

इस व्रत को कोई भी कर सकता है (स्त्री ,पुरुष, बच्चा )। इसके नियम काफी आसान और साधारण है। कहा जाता है कि साईनाथ मांगने से पहले ही सब कुछ दे देते हैं क्योंकि वह अपने भक्तों को हमेशा खुश देखना चाहते हैं।

साईं नाथ का सिमरन करने से ही जीवन की कई परेशानियां दूर हो सकती हैं । जिन्हें साईनाथ पर पूर्ण रुप से विश्वास है वह कभी निराश नहीं होते हैं।

साईबाबा के कितने व्रत रखने चाहिए?

यह व्रत इतना चमत्कारिक है कि 7 या 9 गुरुवार में ही आपको निश्चित रूप से इच्छित फल की प्राप्ति होगी।

यह व्रत करना बहुत ही आसान है ।इसे बच्चा, स्त्री,पुरुष कोई भी कर सकता है। जो साईं नाथ को अपना गुरु मानता है ।

बिना जाति, धर्म की बात किए वे इस व्रत को कर सकता है।

यह व्रत  किसी भी गुरुवार शुरू किया जा सकता है। सच्चे मन से शुरू किया गया यह व्रत आपको जरूर ही इच्छित फल दिलाएगा।

यदि आपको कहीं जाना पड़ जाए तो भी इस व्रत को continue किया जा सकता है।

यदि कोई स्वास्थ्य से संबंधित दिक्कत आ जाए या स्त्रियों को मासिक धर्म की समस्या आ जाए तो उस दिन के गुरुवार को 7 या 9 गुरुवार की गिनती में शामिल न किया करें।

उस गुरुवार के बदले अन्य गुरुवार को व्रत करके अपना व्रत पूरा करें। उसके बाद उद्यापन करना ना भूले।

साई नाथ व्रत, उद्यापन, विधि

जब भी व्रत की गिनती पूरी हो जाए तो आखरी गुरुवार को उद्यापन करना आना चाहिए। इसमें आप 5 गरीब व्यक्तियों को भोजन कराइए।

भोजन कराने के बाद आप साईं नाथ की महिमा और व्रत के गुणों को बताने के लिए आप सगे संबंधियों में या गरीबों में पांच पुस्तकें भेंट कर सकते हैं ।

पूजा के दौरान आप उस पुस्तकों को भी साईं नाथ के सामने रखे और पूजा होने के बाद उन पुस्तकों को श्रद्धालुओं में भेंट करें।

जिससे अन्य व्यक्तियों को भी साईं नाथ का आशीर्वाद मिलेगा।

विधि अनुसार अगर व्रत को रखती हैं तो आपको निश्चित ही फल प्राप्त होगा।

साईं नाथ की पूजा करने के बाद आरती जरूर गाऐ। कहते हैं कोई भी पूजा आरती के बिना अधूरी है ।इसलिए आप आरती गाना बिल्कुल ना बोलिए।

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इस आर्टिकल में दो आरती बताई गई है । जो आपको आसान लगे आप पूजा के बाद वह आरती गा सकते हैं ।

साईं बाबा आरती (sai baba Aarti)

sai baba aarti 1

सौक्य दातारा जीवा चरण राजताली

दयाव दशम विसाव भक्तम विसावआरती साईं बाबा

जलुनी आनांग स्व रूपी रहे दंगा मू मुक्ष जाना दानी

निजा डोला रंगा डोला श्री रंगा आरती साईं बाबा

जया मणि जैसा भव तैसा अनुभव दाविसी दया घान

ऐसी तूजी ही मावा तूजी ही मावा आरती साईं बाबा

तुमचे नाम द्यत, हरि संस्कृति व्याद अगड़ा तवकारणी

मार्ग दविसी अनाड़ा दविसी अनाड़ा आरती साईं बाबा

कलियुगी अवतार सगुण परब्रह्म सच्चर अवतीर्ण जलसे

स्वामी दत्ता दिगंबर दत्ता दिगंबर आरती साईं बाबा

माजा निज द्रव्य तेव तव चरण राजा सेवा

मागवे हेचि आता तुमा देवादी देवादि देवा आरती साईं बाबा

इचिता दिन चाटक निर्मला तोया निजा सूका

पजावे माधवय संबाला अपुली बाका अपुली बाका आरती साईं बाबा

सौक्य दातारा जीवा चरण राजतालि

दयाव दशम विसाव भक्तम विसावा आरती साईं बाबा

Sai Baba aarti–2

आरती श्री साईं गुरुवर की,परमानन्द सदा सुरवर की।

जा की कृपा विपुल सुखकारी,दु:ख शोक, संकट, भयहारी॥

आरती श्री साईं गुरुवर की, परमानन्द सदा सुरवर की।

शिरडी में अवतार रचाया,चमत्कार से तत्व दिखाया।

कितने भक्त चरण पर आये,वे सुख शान्ति चिरंतन पाये॥

आरती श्री साईं गुरुवर की, परमानन्द सदा सुरवर की।

भाव धरै जो मन में जैसा,पावत अनुभव वो ही वैसा।

गुरु की उदी लगावे तन को,समाधान लाभत उस मन को॥

आरती श्री साईं गुरुवर की, परमानन्द सदा सुरवर की।

साईं नाम सदा जो गावे,सो फल जग में शाश्वत पावे।

गुरुवासर करि पूजा-सेवा,उस पर कृपा करत गुरुदेवा॥

आरती श्री साईं गुरुवर की, परमानन्द सदा सुरवर की।

राम, कृष्ण, हनुमान रुप में,दे दर्शन, जानत जो मन में।

विविध धर्म के सेवक आते,दर्शन कर इच्छित फल पाते॥

आरती श्री साईं गुरुवर की, परमानन्द सदा सुरवर की।

जै बोलो साईं बाबा की,जै बोलो अवधूत गुरु की।

‘साईंदास’ आरती को गावै,घर में बसि सुख, मंगल पावे॥

आरती श्री साईं गुरुवर की, परमानन्द सदा सुरवर की।

Sai Baba के 11 वचन

जो शिरडी में आएगा, आपद दूर भगाएगा।

चढ़े समाधि की सीढ़ी पर, पैर तले दुख की पीढ़ी पर।

त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौड़ा आऊंगा।

मन में रखना दृढ़ विश्वास, करे समाधि पूरी आस।

मुझे सदा जीवित ही जानो, अनुभव करो सत्य पहचानो।

मेरी शरण आ खाली जाए, हो तो कोई मुझे बताए।

जैसा भाव रहा जिस जन का, वैसा रूप हुआ मेरे मन का।

भार तुम्हारा मुझ पर होगा, वचन न मेरा झूठा होगा।

आ सहायता लो भरपूर, जो मांगा वो नहीं है दूर।

मुझमें लीन वचन मन काया, उसका ऋण न कभी चुकाया।

धन्य धन्य व भक्त अनन्य , मेरी शरण तज जिसे न अन्य।

साईं बाबा व्रत कथा

कहा जाता है साईं नाथ की भक्त कोकिला उनको साई नाथ पर पूरा भरोसा था ।उनके पति महेश भाई को झगड़ा करने की आदत थी। फिर भी दोनों का वैवाहिक जीवन अच्छा बीत रहा था।

उन दोनों में स्नेह और प्रेम भी था। महेश भाई में झगड़ा करने की आदत थी। इसके बावजूद भी कोकिला अपने पति के कही हुए शब्दों का बुरा नहीं मानती थी।

उसके पति का अच्छा काम धंधा नहीं चल रहा था। इसी कारण से भी कोकिला का पति काफी चिड़चड़ा हो रहा था। काम ना होने के कारण वह अधिकतर समय घर पर व्यतीत कर रहे था।

एक दिन कोकिला के घर के दरवाजे पर एक वृद्ध व्यक्ति आया।उनके चेहरे पर एक अलग ही चमक थी। वहां वृद्धि महाराज भिक्षा मांगने आए थे ।

कोकिला एक धार्मिक औरत थी इसलिए उसने उस महाराज को देखकर चावल और दाल दिए और दोनों हाथों से नमस्कार किया।

जब उस महाराज ने आशीर्वाद दिया तो कोकिला की आंखों में पानी आ गया। कोकिला कि आंख में पानी देखकर उस वृद्ध महाराज ने साईं बाबा के व्रत के बारे में बताया और कहा कि 9 गुरुवार तक एक समय भोजन करके पूर्ण विधि विधान से साईं नाथ का व्रत रखो और कहा कि साईनाथ पर पूरा विश्वास रखना तुम्हारी मनोकामना जरूर पूरी होगी।

 

कोकिला ने विधि विधान से गुरुवार का व्रत किया और नौवें गुरुवार को गरीबों को भोजन भी खिलाया और साथ में साईं पुस्तकें भेंट स्वरूप दी।

ऐसा करने के बाद कोकिला के जीवन में खुशियां आने लगी ।उनके बिजनेस में जो भी दिक्कतें आ रही थी वह दूर हो गई और घर से दुख ,कलेश ,झगड़े दूर हो गए।

एक बार कोकिला को उनकी जेठानी ने बताया कि उसके बच्चे पढ़ाई नहीं कर रहे हैं यही कारण है कि वहां परीक्षा में फेल हो जाते हैं।

फिर कोकिला बहन ने साईं नाथ के 9 गुरुवार उपवास रखने की बात बताई। कोकिला बहन के अनुसार उनकी जेठानी ने व्रत रखा।

इसके बाद उनके बच्चों की परीक्षा में अच्छे अंक से पास भी हुए और कोकिला बहन की जेठानी को भी साईं व्रत पर विश्वास बढ़ गया ।

साईं नाम के 12 मंत्र

  • ओम साईं गुरुवाय नमः
  • ओम साईं राम
  • सबका मालिक एक
  • ओम साईं देवाय नमः
  • ओम शिर्डी देवाय नमः
  • ओम समाधि देवाय नमः
  • ओम सर देवाय रूपाय नमः
  • ओम साईं देवाय नमः
  • ओम शनि देवाय नमः
  • ओम समाधि देवाय नमः
  • ओम सर देवाय रूपाय नमः
  • ओम अजरअमरा आए नमः
  • ओम मालिक आए नमः
  • जय-जय साई राम

पूजा करने की विधि

किसी भी आसन पर पीला कपड़ा बिछाकर उस पर साईं नाथ की फोटो या मूर्ति रखकर। फिर गंगा जल का छिड़काव करें।  पीले रंग के वस्त्र पहनाएं और उसमें चंदन या कुमकुम का तिलक लगाएं फिर फूलों की माला पहनाऐ।

इतना करने के बाद फिर अगरबत्ती और दीपक जलाकर साईं की कथा पढ़ना या सुननी चाहिए ।कथा के उपरांत प्रसाद बांटें ।प्रसाद में फल,पीले रंग की मिठाई आप बांट सकते हैं।

साईं नाथ  के व्रत में क्या खाएं?

व्रत में आप फल ,दूध चाय ,फल या मिठाई अथवा एक समय का भोजन भी कर सकते हैं।

व्रत के दौरान आप चाहे तो साईं नाथ के मंदिर जा के दर्शन भी कर सकते हैं और आरती में भी उपस्थित हो सकते हैं।

अगर आप जा नहीं सकते तो श्रद्धा पूर्वक घर में ही पूजा करें और आरती कीजिए।

Benefits of Sai Baba Vrat Kathao

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार बृहस्पतिवार/ गुरुवार को साई बाबा का व्रत और कथा करने से साई बाबा बहुत प्रसन्न होते है और सभी मनोकामनाएं पूरी करते है।

निष्कर्ष

साईं नाथ की पूजा विधि और व्रत कैसे करे –हमने आपको पूरी जानकारी इस आर्टिकल में दी है नियम अनुसार अगर आप व्रत करेंगे तो निश्चत फल आपको जरूर प्राप्त होगा साईं नाथ की पूजा विधि और व्रत करना बेहद आसान है पर इसे विश्वास के साथ करें।

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