आज आप इस लेख में जानेंगे sahibjade aur mata gujri ko kyu Aaj bhi Saman Diya jata hai?
हमने से कई लोग ऐसे हैं जो सिखों का इतिहास जानना चाहते हैं ।कई बार हम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए इतिहास जानने की कोशिश करते हैं यदि आप sahibjade aur mata gujri ko Aaj bhi Saman kyu Diya jata hai?तुम इस लेख को अंत तक पढ़ी है
साहिबज़ादे और माता गुजरी से जुड़े प्रश्न उत्तर
- प्रश्न – साहिबज़ादे किसे कहा जाता है ?
- उत्तर – सिखों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह जी के बच्चों को चार साहिबज़ादे कहा जाता है ।
- प्रश्न – चार साहिबज़ादे के नाम क्या है ?
- उत्तर -साहिबज़ादा अजीत सिंह जी
- साहिबज़ादा जुझार सिंह जी
- साहिबज़ादा ज़ोरावर सिंह जी
- साहिबज़ादा फतेह सिंह जी
- गुरु गोविंद सिंह जी का परिवार कहां जुदा हुआ ?
- गुरु गोविंद सिंह जी का परिवार सरसा नदी पर जुदा हुआ ।

माता गुजरी और छोटे साहिबजादे की कहानी (sahibjade aur mata gujri ko kyu Aaj bhi Saman Diya jata hai?)
गुरु गोविंद सिंह जी से बिछड़ने के बाद माता गुजरी के पास ना ही रहने का ठिकाना था ना ही कोई सैनिक थे जो माता और बच्चों की देखभाल के लिए साथ हो ।
सरसा नदी में गुरु गोविंद सिंह का साथ छूटा तब माता गुजरी जी के पास उनके दो साहिबजादे थे । जिनका नाम है साहिबजादा अजीत सिंह जी और साहिबजादा जोरावर सिंह जी ।
रास्ते में माता गुजरी जी का मिलना गंगू से हो गया । गंगू ने किसी वक्त गुरु गोविंद सिंह जी के यहां काम किया था ।
गंगू ने आश्वासन दिया माता गुजरी को कि उनके साथ सुरक्षित रहेंगे । गंगू ने झूठा वादा किया कि वह जल्द से जल्द माता और गुरु गोविंद सिंह जी के बच्चों को गुरु गोविंद सिंह जी के पास ले जाएगा लेकिन वह लालची था । माता गुजरी जी उसके गलत इरादों को समझ नहीं पाई और गंगू के साथ चल पड़ी ।
गंगू ने वजीर खांं को सूचना दे दी कि गुरु गोविंद सिंह की मां और उनके छोटे बच्चे मेरे पास हैं ।
इसके बदले में गंगू को वजीर खांं से सोने की मोहरे भेंट में मिली ।वजीर खां ने तुरंत अपने सैनिक भेजे और माता गुजरी जी को और उनके छोटे-छोटे बच्चों को साहिबजादे कैदी बनाकर ले आए ।
छोटे बच्चों को ठंडे बुर्ज में रखा गया । ठिठुरती ठंड में उनके पास एक कपड़ा भी नहीं था , जिससे वहां ठंड से बचाएं फिर अगले दिन वजीर खांं ने उन्हें बुलाया ।
बच्चों की आयु बहुत कम थी । एक 7 वर्ष का साहिबजादा जोरावर सिंह और दूसरा 5 वर्ष का साहिबजादा फतेह सिंह जिन्हें वजीर खां अपने गिरफ्त में ले लिया था ।
भरी सभा में साहिबजादा प्रवेश करते हैं और जोर से नारा लगाते हैं और कहते हैं “जो बोले सो निहाल सत श्री अकाल”
वजीर खांं जिसके सामने कोई अपनी मन की नहीं करता उसके सामने साहिबजादो ने जयकारा लगाते समय डर बिल्कुल महसूस नहीं किया ।
उन्हें इस्लाम धर्म कबूल करने के लिए कहा गया लेकिन उन्होंने तुरंत मना कर दिया ।
बच्चों को कहा गया कि वजीर खां के सामने सर झुका कर सलाम करो तब बच्चों ने कहा कि हम अपने गुरु अकाल पुरख और अपने पिता के अलावा किसी के सामने सर नहीं झुकाते हैं
बच्चों को कहना था कि जब उनके दादाजी ने धर्म की रक्षा के लिए अपना सर कलम कर दिया तो धर्म परिवर्तन करके उनका नाम कैसे बर्बाद कर सकते हैं ?
अगर हमने सर झुका लिया तो हम अपने दादाजी को ऊपर जाकर क्या जवाब देंगे ?
वजीर खांं ने हर तरीका अपनाया कभी बच्चों को प्यार से समझाया तो कभी डराया पर गोविंद सिंह जी के लाल अपनी बात में कायम रहे ।
जब बच्चे नहीं माने तो उन्हें दीवारों में चुनवा देने का ऐलान कर दिया गया ।
जब बच्चों को दीवार में चुनवाना शुरू करते हैं ,बच्चे जापजी साहब का पाठ आरंभ कर देते हैं ।
कहते हैं जब दीवार पूरी बन गई तब अंदर से जयकारा लगाने की आवाज आई ।
वजीर खां ने दीवार को तुड़वाया यह देखने के लिए कि बच्चे जिंदा है कि नहीं , उस समय दोनो बच्चों के सांसे चल रहे थे लेकिन वजीर खां की दरिंदगी बाकी थी उन्होंने बच्चों को गला घोट कर मार दिया ।
जैसे ही माता गुजरी को बच्चों के निधन के बारे में सूचना मिलती है वहां अकाल पुरख को शुक्रिया करती है कि उनके बच्चे ने उनके पुरखों की लाज रखी ।
Veer Bal Diwas
सिक्खों के दसवें गुरु गोविंद सिंह जी के प्रकाश दिवस पर प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि 26 दिसंबर गुरु गोविंद जी के बेटों की शहादत को याद रखने के लिए “वीर बाल दिवस “मनाया जाएगा ।
https://twitter.com/mssirsa/status/1607368903633825792?t=R-w3kMPn9FkdB5w2311-kQ&s=19
सहिबजादों की शहादत को सम्मान देने के लिए आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने अपनी घोषणा में सहिबजादों को श्रद्धांजलि दी । एक कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें नरेंद्र मोदी ने सहिबजादों को श्रद्धांजलि दी ।यहां कार्यक्रम ध्यान चंद्र मैनेजर द्वारा राष्ट्रीय स्टेडियम में आयोजित किया गया था ।
गुरु गोविंद सिंह की जयंती में प्रधानमंत्री जी ने इसी वर्ष 9 जनवरी 2022 को एक घोषणा की थी उस घोषणा में कहा था कि 26 दिसंबर गुरु गोविंद सिंह जी के बच्चों की शहादत को याद करके मनाया जाएगा इस दिन को हम ” वीर बाल दिवस “कहेंगे ।
नरेंद्र मोदी जी ने Veer Bal Diwas पर क्या कहा ?
नरेंद्र मोदी जी कहते हैं कि जिन बच्चों ने शहादत दी उनकी उम्र बेहद कम थी लेकिन कभी घबराए नहीं । उन्होंने हालातों से डटकर सामना किया इससे यह साबित होती है कि छोटी उम्र होने से कोई फर्क नहीं पड़ता ।
सिखों का इतना बड़ा योगदान है जो हम पीढ़ियों से पढ़ते आ रहे हैं ।आज पहला वीर बाल दिवस मनाया जा रहा है ।
“वीर बाल दिवस “से हमें हमेशा याद दिलाएगा कि सिखों ने भारत के लिए कितनी बड़ी कुर्बानी दी है ।
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उम्मीद है दोस्तो इस लेख को “sahibjade aur mata gujri ko kyu Aaj bhi Saman Diya jata hai? “ पढ़ने के बाद सहिबजादों और उनकी दादा माँ से जुड़ी बाते समझ आ गई होगी ।
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Well done! This article gives a fresh perspective on the subject. Thank you for sharing your expertise.