भक्तों को राह कैसे दिखाते हैं साईनाथ / sai bhakton ki sachi kahani
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एक दंपत्ति जो बहुत ही परेशान रहते थे पर साईं के वचनों को “श्रद्धा और सबुरी ” हमेशा याद रखते थे।आज इस लेख के माध्यम से आप जानेंगे कि साईं नाथ अपने भक्तों की रक्षा कैसे करते हैं ।साईं अपने भक्तों को राह कैसे दिखाते हैं साईनाथ / sai bhakton ki sachi kahani
इस कहानी में पति का नाम है शिव और पत्नी का नाम भूमि है । काम की तलाश में शिव जगह जगह जाता था लेकिन वहां बोल और सुन नहीं पाता था इस वजह से उसे कहीं भी कार्य नहीं मिलता था।
1 दिन शिव ने एक व्यक्ति की जान बचाई ,उस व्यक्ति ने शिव को अपने यहां कार्य में रख लिया। शिव और उसकी पत्नी भूमि कार्य पाकर बेहद खुश हुए । खुशी में भूमि ने अपने रिश्तेदारों को और साईनाथ को पूरन पूरी खिलाने का विचार किया।
जब भूमि साईं नाथ के सामने पूरन पूरी रखती है तो साईनाथ बातों ही बातों में कह देते हैं कि जैसे सुख में तुम शिव के साथ हो वैसे ही बुरे समय उसका ध्यान रखना।
साईं की महिमा के हर कोई दीवाना है साइ की वचनों को ध्यान में रखते हुए भूमि शिव का ध्यान रखना शुरु कर देती है।
जहां शिव को कार्य मिला था उस दफ्तर का मालिक होता है कुलकर्णी सरकार होता है। कुलकर्णी सरकार बेहद निर्दय व्यक्ति थे उन्हें किसी पर दया नहीं आती थी।
जिस व्यक्ति ने शिव को कार्य दिया था वहां भूमि से पूछता है कि तुम कुलकर्णी सरकार को जानती हो ? भूमि कहती है मैं यहां 3 सालों से रह रही हूं मैंने उनके बारे में सुना है लेकिन ज्यादा कुछ नहीं जानती वह व्यक्ति कहता है कुलकर्णी सरकार बेहद कठोर है इसलिए तुम शिव को समझा दो ,जब कभी भी कुलकर्णी सरकार आए वह इस दफ्तर से गायब हो जाए क्योंकि कुलकर्णी सरकार कभी भी ऐसा व्यक्ति को कार्य में नहीं रखेंगे जो सुन और बोल नहीं सकता।
कुलकर्णी सरकार कभी कबार दफ्तर में आते हैं यदि कुलकर्णी सरकार को पता चल जाए कि मैंने शिव को रखा है तो बहुत बड़ी समस्या उत्पन्न हो सकती है।
वहीं दूसरी ओर शिव की बहन वैशाली जो शादीशुदा है वहां अपने पति से हमेशा झगड़ा करती रहती।
वैशाली अपने पति से बहस कर रही थी कि वह उसे लाल चूड़ियां क्यों नहीं लाकर दे रहा उसे अपनी सहेली की गोद भराई रसम में लाल चूड़ियां पहनी है । उसकी बातें सुनकर दिवाकर जो वैशाली का पति है कहता है कि तुम रोज जंगल लकड़ी काटे जाती हो मैंने तुम्हें कहा था कि नीम की डालियां लेकर आना तुम रोज भूल जाती हो इतने में ही साईं आ जाते हैं और वैशाली को लाल चूड़ियां और देवाकर को नीम की डालियां दे देते हैं।
अपने वचनों में साई कहते हैं कि झगड़ा होना आम बात है लेकिन झगड़े को सुलझाना बेहद जरूरी है नही तो रिश्तो में दरार आ जाती है।
पति पत्नी का रिश्ता कैसे होना चाहिए ?
साईं कहते हैं कि पति पत्नी को सीता और राम की तरह रहना चाहिए यदि खुश रहना चाहती हो तो अपनी रिश्ते में कृष्ण और सुदामा जैसे दोस्ती लाओ ।
वैशाली तुम हमेशा दूसरों पर इल्जाम लगाती रहती हो कभी तुम्हें दूसरे के पक्ष में रहकर भी सोचना चाहिए कुछ सीखो अपने भाई शिव और भूमि से उनसे ज्ञान लो ।
शिव जिस जगह कार्य कर रहा होता है वहां हर एक चीज अच्छे से संभालता है इतने में जिस व्यक्ति ने शिव को कार्य दिया होता है । वहां शिव को कहता है कि मैं कुछ समय के लिए बाहर जा रहा हूं तुम दफ्तर में हर एक चीज सफाई करके रख देना ।
यहां दूसरी ओर शिव की पत्नी भूमि हर एक को और द्वारकामाई में साईनाथ को “Puran Poli”साईं को खिलाती है ।
शिव की बहन वैशाली भूमि को पूछती है कि किस खुशी में “Puran Poli” तुम बांट रही हो
वह कहती है कि तुम्हारे भाई की मिल में नौकरी लग गई है उन्हें ₹60 दिए जाएंगे । इसी वजह से ही मैं सबको अपनी खुशी में शामिल कर रही हूं ।
साईनाथ भूमि को कहते हैं कि इसकी क्या आवश्यकता थी ।वह कहती है कि मैं तो बहुत बड़ा आयोजन करना चाहती हूं लेकिन अभी इतना ही कर सकती हूं तो क्यों ना करूं आखिर इनकी खुशी में ही मेरी खुशी है ।
साईनाथ कहते हैं की तुम सही कह रही हो जिस रिश्ते में पति पत्नी का और पत्नी पति का ख्याल रखती है वहां रिश्ता बहुत मजबूत होता है अपने व्यस्त जीवन में अपने रिश्तो को जगह देनी चाहिए , ऐसा करने से ही रिश्ते मजबूत होते हैं ।
हंसते मुस्कुराते अपने जीवन को बीताना बहुत बड़ी बात होती है और अच्छे दंपत्ति वही होते हैं जो सुख-दुख में एक दूसरे के साथ हमेशा खड़े रहते हैं ।भूमि जिस तरह से तुम शिव की खुशी में खुश हो वैसे ही शिव के बुरे समय में भी शिव का ख्याल रखना ।
भूमि विचलित हो जाती है और साईं से कहती है कि अब शिव को नौकरी मिल गई है अब उनका बुरा समय चले गया । साईं कहते हैं कि नौकरी पक्की है कि नहीं वह बात मैं नहीं कर रहा हूं पर समय हमेशा बदलता रहता है सुख के बाद दुख और दुख के बाद सुख आता है इसलिए शिव का विशेष रूप से ख्याल रखना ।
सुख दुख आते जाते रहते हैं इसलिए हर स्थिति को अपनाने के लिए हमें अपने दिमाग को तैयार रखना चाहिए ।
दफ्तर में कुलकर्णी सरकार प्रवेश करते हैं और शिव को कहते हैं कि सुनो लेकिन शिव कोई जवाब नहीं देता । इतने में जिस व्यक्ति में शिव को काम पर रखा था वह आ जाता है और कुलकर्णी सरकार को प्रणाम करता है । कुलकर्णी कहते हैं कि मैं कब से इस नौकर को आवाज दे रहा हूं यह मेरी सुनता नहीं है । किस तरह के नौकर को तुमने रखा है ?
वह व्यक्ति शिव की कमजोरियों को छुपाने की कोशिश करता है लेकिन कुलकर्णी सरकार शिव की कमजोरियां समझ जाते हैं और उसे बेइज्जत कर के दफ्तर से जाने को कहते हैं । शिव कुलकर्णी सरकार के सामने हाथ जोड़ते हैं लेकिन कुलकर्णी उसे दफ्तर से बेइज्जत कर भगा देता है ।
दफ्तर से निकलने के बाद शिव बहुत उदास रहता है वह रास्ते में अपने अपमान के बारे में सोच कर चल रहा होता है । वह अपनी सोच में इतना डूबा होता है कि रास्ते में साईं नाथ के दर्शन होने पर उन्हें प्रणाम भी नहीं करता ।
एक भक्त ने साइ से पूछा कि शिव अपनी दुनिया में ही उलझा हुआ है उसे रास्ते का कांटा भी नजर नहीं आ रहा तब साईं चमत्कार करते हैं और रास्ते का कांटा दूर कर देते हैं । इतने में वह भक्त कहता है कि आप अपने भक्तों की हमेशा रक्षा करते हैं आप भूमि और शिव की सारी समस्याओं को हमेशा के लिए दूर क्यों नहीं करते थे ?
साईं कहते हैं कि मैं रास्ते में कुछ कांटों को जरूर दूर कर सकता हूं लेकिन जीवन में कैसे चलना है यहां बात शिव को खुद सीखना होगा ।
बेइज्जत के बाद शिव उदास मन से अपने घर पहुंचता है वहां उसकी बहन वैशाली पहले से बैठी रहती है और शिव के बारे में सुनने के बाद वह कहती है कि जो बोल पाता है लोग उसकी नहीं सुनते हैं तो यह तो सुन और बोल दोनों नहीं सकता तो लोग इसकी क्या इज्जत करेंगे ।
कुलकर्णी एक वैध है वह अक्सर जंगल में औषधि लेने के लिए जाया करता था एक दिन अपने दासो के साथ कुलकर्णी जंगल में औषधि लेने जाता है ।
Komodo dragon कुलकर्णी को काट देता है और उसका काटा इंसान को मौत के घाट भी पहुंचा सकता है यह बात उसके दासो को पता थी वहां चिंतित हो गए कि वे कुलकर्णी को कैसे बचाएं ?
संता बंता जो कुलकर्णी सरकार की सेवा में लगे रहते थे उन्हें इस बात की चिंता थी कि गांव के लोगों के सामने वे अपनी मनमानी कैसे करेगें ?
अगर कुलकर्णी सरकार को कुछ हो जाएगा तो उनका रोब का क्या होगा ?जितने पैसे लोगों से रिश्वत के खाए हैं उसका क्या होगा इस बात की चिंता होने सताने लगी पर जंगल में एक व्यक्ति उन्हें मिला जो एक वैध को जानता था ।
उस वैद्य ने कुलकर्णी सरकार को ठीक कर दिया । ठीक होने के बाद कुलकर्णी उस वैध को कहते हैं कि तुम एक अच्छे वैध लगते हो इस जंगल में क्या कर रहे हो ?
इससे पहले वह वैद्य कुछ बोलता साईं वहां पहुंच जाते हैं और कहते हैं कि शहर में बेहद अंहकारी लोग रहते हैं जो इंसानों को बेइज्जत करना सही समझते हैं ।
भक्तों को राह कैसे दिखाते हैं साईनाथ / sai bhakton ki sachi kahani
भक्तों को राह कैसे दिखाते हैं साईनाथ / sai bhakton ki sachi kahani
कुलकर्णी सरकार साईं की वचनों को सुनकर क्रोधित हो जाते हैं और कहते हैं कि तुम मेरे मरने का इंतजार कर रहे थे और मैं मरा की नहीं यहां देखने आ गए हो ।
साई के वचन
साई कहते हैं जो लोग जंगल में लोगों का भला कर रहे हैं वह बिना भेदभाव के लोगों का भला कर रहे हैं लेकिन जो लोग शहर में है वह दूसरों को नीचा दिखाने और अपमानित करने में ही अपनी शान समझते हैं ।
कुलकर्णी कहता है कि तुम यहां भी आ गए मेरा पीछा करते हुए ।
क्या तुम मेरा मरा चेहरा देखने के लिए आए थे ? तुम इतने किस्मत वाले नहीं हो तो मेरे मरा चेहरा देखने को तुम्हें मिल जाए ।
मैं तुम्हारा मरा चेहरा नहीं बल्कि मैं तुम्हें कुछ समझाने आया हूं
तुमने शिव को इसलिए निकाला क्योंकि वह गूंगा और बहरा है ।कुलकर्णी कहता है कि वह मेरे किसी काम का नहीं है ।इतने में साईं कहते हैं कि तुम गौर से उस शख्स को देखो जिसने तुम्हारी जान बचाई है वह देख नहीं सकता ।
जैसे शिव को तुम नकारा समझते हो वैसे ही तुम इस शख्स को भी समझते हो है ना क्योंकि यह भी अंधा है
साईं कहते हैं कि भगवान ने हर इंसान को कोई न कोई तोहफा दिया है जो काम सुई कर सकती है वह तलवार नहीं कर सकती ।
साई कहते हैं कि मैं यहां आया हूं कि तुम समझ जाओ कि तुम कहां गलती कर रहे हो ,नहीं तो तुम आगे जाकर पछताओगे ।
कुलकर्णी कहता है क्या तुम्हें अपने शब्द सुनकर हंसी नहीं आती है ?
शिव मेरे किसी काम का नहीं है यह वैध एक अपवाद है
शिव जैसा व्यक्ति किसी के कार्य में साथ नहीं दे सकता वह तो एक दायित्व है और वह अपनी आखिरी सांस तक धरती पर बोझ ही बना रहेगा
मैं इस बात का साक्षी रहूंगा साईं मेरी बात याद रखना
साईं कहते हैं उसकी मर्जी के बिना तो पत्ता भी नहीं हिलता
शिव अपने घर पहुंचता है उसका उदास चेहरा देखकर उसके माता-पिता उससे सवाल पूछते हैं कि क्या हुआ तुम्हें ?
कुलकर्णी सरकार ने मुझे अपमानित किया इस वजह से मैं उदास हूं भूमि अपने पति का उदास चेहरा देखकर वहां से जाने की सोचती है इतने में उसकी सांस पूछती है कि तुम कहां जा रही हो ?वह कहती है कि मैं शिव का ऐसा उदास चेहरा नहीं देख सकती
उनके बीच में वार्तालाप हो ही रही थी कि शिव की बहन वैशाली वहां पहुंच जाती है और कहती है कि आप सब इतने उदास क्यों हो ? उसकी मां पूरी बात बताती है और कहती है कि तुम अपने भाई को उदास मत रहने दो ।
वैशाली कहती है कि कौन सी नई बात है हर कोई शिव को पहले दिन कार्य देता है और अगले दिन ही काम से हटा देता है ।
वैशाली अपनी तकलीफों के बारे में बताना शुरू करती है और कहती है कि मेरा पति तो मेरी सुनता ही नहीं । उसकी मां उसे कहती है कि तुम भी कम नहीं हो ।तुम्हें भी समझौता करना नहीं आता है तुम हर बार उससे झगड़ा ही करती रहती हो ।सिर्फ अपने बारे ही सोचना सही नहीं होता है ।वैशाली कहती है कि तुम बिल्कुल साई की तरह बोल रही हो ।
मैं बोल सकती हूं फिर भी तुम मेरा दर्द नहीं समझ रही हो फिर तो जो बोल नहीं सकता तो उसका दर्द कौन समझेगा ?
भूमि को एक आइडिया आता है वह सबकी बीच में कठपुतली लेकर आती है और एक मजेदार कहानी सुनाने लगती है । भूमि की कहानी सुनकर सब के चेहरे पर मुस्कान आ जाती है और वैशाली कहती है कि पता नहीं भूमि ने मेरे परिवार पर क्या जादू किया हुआ है ।
मन ही मन भूमि दुखी होती है फिर वह द्वारिका माई पहुंच जाती है ।साईं के द्वार पर तात्या की मां और पत्नी आते हैं और कहते हैं कि कल तात्या का जन्मदिन है पर सजावट के लिए कोई नहीं मिल रहा है
तात्या की मां कहती है कि मैं तात्या का जन्मदिन यादगार बनाना चाहती हूं लेकिन तात्या के पिताजी शहर गए हुए हैं मैं अकेले कैसे कर सकती हूं ?
मैंने शहर से कुछ लोगों को सजावट के लिए बुलाया था लेकिन किसी कारण से वे लोग नहीं आ पा रहे हैं अब कैसे मैं तात्या का जन्मदिन यादगार बना सकती हूं आप ही कुछ सुझाव दे साई
साई कैसे अपने भक्तो को राह दिखाते है ?
साईं कहते हैं कि समस्या का समाधान सामने ही है उनका इशारा शिव और भूमि की ओर होता है साईं जन्मदिन का कार्यक्रम उन लोगों पर छोड़ देते हैं ।
एक तरफ कठपुतलियों का डांस देखने के बाद भूमि की सास पूछती है तुमने इतनी अच्छी कहानी बोलने कहां से सीखी ?
भूमि बोली जब मैं छोटी थी तो मेरे अंकल ने मुझे कठपुतलियों से कहानी कैसे बनानी है यह सिखाया था वह हुनर मेरे काम आ गया ‘
भूमि की सांस कहती है तुम करोड़ों में एक हो तुम्हारी वजह से शिव मुस्कुरा रहा है ।मैंने जरूर कोई अच्छे कर्म किए होंगे जो तुम जैसी बहू मैंने पाई ।
वैशाली को बहुत जलन होती है और वह कहती है कि तुम अपनी बहू को सर पर चढ़ा कर रखे हो । क्यों दिन भर उसकी तारीफ करते रहते हो ?
वैशाली कहती है कि उसके कहानी से क्या तुम्हारी गरीबी हट गई ?क्या शिव को नौकरी वापस मिल जाएगी नहीं ना तुम सब अंधे हो गए हो इसलिए तुम्हें नजर नहीं आता
मेरी नहीं तो ना सही लेकिन अपने पुत्र के बारे में तो सोचो , कहते हैं कि शादी इंसान को जिम्मेदार बना देती है लेकिन यहां तो मेरा भाई नकारा बन गया
जिसे तुम ज्ञान की देवी कहते हो उसी ने तुम्हारे पुत्र को गैर जिम्मेदार बनाया है ।मेरा भाई उसके चारों तरफ घूमते रहता है इसी कारण उसे कोई कार्य नहीं मिलता । शायद भूमि के कारण ही मेरा भाई आज तक काम नहीं कर पा रहा है ।भूमि ही उसके गरीबी और बदकिस्मती की जिम्मेदार है
भूमि की सास वैशाली को कहती है कि तुम बड़बड़ाना बंद करो । भूमि ही है जिसकी वजह से शिव मुस्कुराया है
वैशाली कहती है कि भूमि स्वार्थी लड़की है जो हमेशा मेरे भाई को अपने इर्द-गिर्द घूमाना चाहती है ।
मैंने उसे कई बार भूमि की मदद करते हुए देखा है और कौन सी पत्नी है जो अपने पति की मदद को पसंद नहीं करेगी लेकिन अगर शिव भूमि की ही मदद करता रहेगा तो कब अपना कार्य में ध्यान देगा ।
मां कहती है कि जो लोग प्यार में होते हैं वहां 100 कार्य होने के बावजूद भी अपने जीवनसाथी की खुशी का ख्याल रखते हैं । वैशाली कहती है कि तुम अंधे हो इसलिए तुम्हें नजर नहीं आता । आज तो कल तुम मेरी बात को जरूर समझोगे ।
शिव और भूमि साईं के दरबार में जाते हैं और कहते हैं कि शिव से भूल हो गई थी जो उसने आपको अनदेखा किया , शिव अपनी गलती की क्षमा मांगने आया है ।
जो तात्या की मां साईं से मदद लेने आई थी वहां वही बैठी थी ।
भूमि कहती है कि हमारा दुर्भाग्य हमें सता रहा है ।साईं मदद करो , आज शिव का उसके कार्य पर पहला दिन था पहले दिन ही शिव को वहां से निकाल दिया गया ।
मैंने सुना है कि मारुति मंदिर में तिल को चढ़ाने से मन्नत पूरी होती है । मैं अभी बाजार जा कर तिल का तेल लूंगी और मारुति मंदिर पर चढ़ा दूंगी । साईं कहते हैं लो तिल का तेल और मारुति जी ने तुम्हारी मन्नत सुन ली है
साई बाबा का आर्शीवाद
तुम्हारा बेहतर कल तुम्हारा इंतजार कर रहा है कल तात्या का जन्मदिन है तो तुम दोनों ने इस कार्यक्रम को संभालने की जिम्मेदारी लेनी है । शिव ने जन्मदिन में बहुत खूबसूरत सजावट की थी और तुम कहानी सुनाना अच्छे से जानती हो तो क्या तुम इस कार्यक्रम की जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार हो ?
वे चिंतित होते हैं और कहते हैं कि इतने बड़े कार्यक्रम की जिम्मेदारी हम कैसे ले सकते हैं ? साईं कहते हैं कि मुझे तुम पर भरोसा है ।तुम यह कार्य कर सकते हो ।वे जिम्मेदारी लेते हैं और कार्यक्रम को बहुत अच्छे से संभालते हैं ।
उनका शिष्य वहां बैठा होता है जो ऐसे लोगों की तलाश कर रहा होता है जो कठपुतलियों का डांस कराते हो ।
साई अपने उस भक्त को तात्या के जन्मदिन में बुलाते हैं ।भक्त कार्यक्रम में शामिल होता है और देखता है भूमि और शिव का कठपुतली कार्यक्रम । वह बेहद खुश हो जाता है और भूमि और शिव को काम में रख लेता है इस तरह से साईं अपने भक्तों का ख्याल रखते हैं ।
उम्मीद है आपको इस लेख भक्तों को राह कैसे दिखाते हैं साईनाथ / sai bhakton ki sachi kahaniसे साईं की लीला के बारे में पता चला होगा यदि आपका कोई रिश्तेदार जिसे साईं के चमत्कार के बारे में मालूम होना चाहिए तो आप इसे लेख को शेयर कर सकते हैं ।अपना कीमती समय देने के लिए धन्यवाद😊🙏