Kisan andolan क्या है?(2020-2021)

Kisan andolan क्या है ?(2020-2021)

Kisan andolan क्या है?(2020-2021)

 

Kisan andolan क्या है? (2020-2021) हम सब किसान को  अन्न देवता कहते हैं।तीन कृषि बिल आने के बाद किसानों क आंदोलन शुरू हो गया और वह आंदोलन को किसान आंदोलन कहा जा रहा है।

Kisan andolan क्या है?(2020-2021)

Kisan andolan क्या है? Kisan andolan से जुड़ी प्रमुख बातें यह article मे आपको मिलेगी ।

​ तीन कृषि कानून क्यों बनाए गए?

1 मंडी से Monopoly खत्म करने के लिए।

2 किसान को अधिकार मिले जिससे वह बाहर कही भी व्यापार ऑनलाइन और अन्य तरीके से कर सके।

3 सब रोक-टोक से उन्हें राहत मिली।

FAQ kisan andolan

प्रशन​  सरकार ने संसद में 3 कानूनों बिल को कब परिचित कराया?

उत्तर 5 जून 2020

प्रशन संसद में अध्यादेश को कब पेश किया गया?

उत्तर 25 सितंबर 2020

प्रशन राष्ट्रपति के हस्ताक्षर कब हुए?

उत्तर 27 सितंबर 2020

प्रशन किसानों की क्या मांग है?

उत्तर किसानों की मांग इन कानूनों को रद्द करने तथा MSP पर कानून बनाने की है।

प्रशन नरेंद्र मोदी ने तीन कानून को वापस लेने का ऐलान कब किया?

उत्तर शुक्रवार 19 नवंबर 2020 को गुरु नानक जयंती के पवित्र दिन में तीन कानून बिल वापस लेने का ऐलान किया गया।

प्रशन कौन-कौन से राज्य में किसान आंदोलन कर रहे हैं ?

उत्तर हरियाणा, पंजाब ,पश्चिमी उत्तर प्रदेश और अन्य राज्य के किसान आंदोलन कर रहे हैं।

प्रशन बिल को रद्द कैसे किया जाता है?

उत्तर अगर कोई भी bill  simple majority से introduce किया गया है तो सिंपल मेजॉरिटी द्वारा ही repeal किया जाएगा‌। वैसे ही अगर कोई भी bill स्पेशल majority द्वारा परिचित कराया गया है तो उसे वैसे ही repeal कराया जाएगा।

प्रशन “दिल्ली चलो ” movement किसानों ने कब किया?

उत्तर 25 नवंबर 2020

प्रशन संसद में कितने सत्र होते हैं ?

उत्तर संसद में 3 सत्र होते हैं पहला बजट सत्र, दूसरा मॉनसून सत्र, तीसरा शीतकालीन सत्र।

प्रशन कृषि बिल क्या है ?

उत्तर किसानों के जीवन में सुधार लाने के लिए सरकार ने 3 कृषि कानून  सामने लाए। उन 3 कृषि कानून  में नई योजना लाई ।जिससे किसान अपने उत्पादन  को ऑनलाइन भी बेचा जा सकता है और कई काम कर सकता है।

इससे इन तीन कृषि कानूनों से किसान की उन्नति होगी ऐसा सरकार का मानना है।

प्रशन तीन बिलो के नाम क्या है?

उत्तर १)आवश्यक वस्तु अधिनियम (भंडारण नियम) ।

२)मूल्य अवशासन पर बंदोबस्त और सुरक्षा समझौता ।

३)कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य।को

3 कृषि कानून में क्या है ?

१) आवश्यक वस्तु अधिनियम भंडारण नियम-– इस कानून के मुताबिक व्यापारी या किसान दोनों को यह मौका दिया जाता है कि वे उत्पादन को अधिक मात्रा में गोडाउन में रख सकते हैं ।

सिर्फ युद्ध या आपदा के समय आवश्यक वस्तु को गोडाउन में रखने जाने को गलत माना जाएगा ।

आप अपने आप से सवाल कीजिए अगर आवश्यक वस्तु लंबे समय तक गोडाउन में रखेगी तो उसका मूल्य बढ़ाना जाहिर सी बात है उसका मूल आसमान को छुऐगा ।

कोई भी आवश्यक वस्तु ज्यादा समय तक अगर उपलब्ध नहीं होगी तो अचानक मिलने से उसको रेट से अधिक में बेचा जाएगा जो कि गलत है।

आवश्यक वस्तु रखने का हक सरकार ने व्यापारी और किसान दोनों को दिया है पर सोचने वाली बात यह है कि किसान आवश्यक वस्तु रखेगा कहा किसानों की स्थिति हर कोई जानता है।

२) मुल्य और अवशासन पर बंदोबस्त और सुरक्षा समझौता –यह दूसरा बिल है। यह बिल कुछ हद तक किसानों की बड़ी तकलीफ को कम कर सकता है क्योंकि खेती से पहले ही एक मूल्य तय हो जाए तो किसान और व्यापारी दोनों अपने कायो में श्रेष्ठ ध्यान दे सकते हैं।

सरकार का कहना है जब व्यापारी और किसान के बीच समझौता हो जाएगा तो दोनों को ही मुनाफा है।

एक तरफ किसान को सिर्फ खेती पर ध्यान देना है ना कि उसे इस वर्ष मुनाफा होगा कि नहीं और दूसरी बात  कंपनियां और व्यापारियों को भी फायदा होगा क्योंकि एक ही बार में वहां एक जगह से उत्पादन ले सकेंगे।

३) कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य –इस कानून के अनुसार कृषि को अनुमति मिलती है कि वह अपना सामान सिर्फ मंडी में नहीं बल्कि ऑनलाइन भी सेल कर सकता है ।

इस कानून से कोई श्रेष्ठ मुनाफा तो कृषि को नहीं होगा क्योंकि वह कई स्थानों में पहले से ही अपने फसलों की सीलिंग करता है।

MSP में सिर्फ 6 % कृषि अपना सामान को बेंच पा रहे हैं क्योंकि अधिकतर बिजोलिया ( अढति)की आपस में एकता होती है।

इस कारण वह किसान को सही कीमत उसकी वस्तुओं की लेनी नहीं देते। इस कानून से किसान को एक नया अवसर मिलता है कि वह अपने उत्पादन  को अन्य राज्यों में भी भेज सकता है।

किसानों को क्या डर है ?

कोई भी किसान अगर उसको उसके उत्पादन पदार्थों के सही दाम मिलेगा तो वह कभी भी आंदोलन नहीं करेंगे। एक तरफ तो किसान सोच रहे हैं कि अच्छी बात है कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में पहले से ही खाद्य पदार्थ का मूल्य तय हो जाएगा तो उन्हें ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है।

पर दूसरी तरफ किसानों को यह डर है अगर प्राइवेट कंपनी बाद में उन्हें सही दाम ना दे तब किसान कहां जाएंगे। इस बात से किसान MSP जो सरकार देती है।उसे खत्म करना नहीं चाहते।

सरकार ने सोच-समझकर ही फैसले लिए होंगे। हम सब को जानते हैं कि किसान स्वतंत्रता पाने से पहले भी बहुत दुख बर्दाश्त करते थे।

जब स्वतंत्रता मिली तो सरकार ने किसानों के हित के लिए यह कानून सोचे हैं। पहले तो सरकार ने MSP बनाई। जहां कृषि अपने उत्पादन को वहां बेच सकता है ।

वहां पर भी किसानों को ज्यादा मुनाफा नहीं हो रहा था क्योंकि आढ़तियों ने किसानों की उत्पादनों का दाम बहुत कम लगाया ।जिसके कारण किसान को कई विपत्तियों का सामना करना पड़ रहा है।

अध्यादेश क्या होता है ? 

वे कानून जिससे राष्ट्रपति मंत्री मंडल की सिफारिश पर लागू करते है वह अध्यादेश कहलाता है ।

अध्यादेश की अवधि -अध्यादेश को लागू करने के बाद न्यूनतम 6 सप्ताह और अधिक तक 6 महीने तक प्रभावी रहता है।

विधेयक क्या होता है?

जब कोई प्रस्ताव या सुझाव संसद में कानून बनाने के लिए रखा जाता है तो उसे विधेयक या बिल कहते हैं या फिर क्या संसद के दोनों सदनों में बहुमत से पारित हो जाता है और राष्ट्रपति की मंजूरी मिल जाती है तब यहां कानून या एक्ट बन जाता है

अध्यादेश और विधेयक में अंतर क्या होता है?

विधेयक–स्थाई होता है ।विधेयक को पारित करने के लिए संसद की स्वीकृति आवश्यक है ।

अध्यादेश –अस्थाई होता है। अध्यादेश को पारित करने के लिए संसद की स्वीकृति आवश्यक हैं।

आंदोलन के दौरान सिंधु बॉर्डर में लखबीर सिंह की हत्या  क्यों हूई

लखबीर नाम के शख्स ने सिक्खों के गुरु का अपमान किया था ।यह बात निहंग को बर्दाश्त नहीं हुई।

जब निहंग को मालूम चलता है कि लखबीर सिंह ने उनके गुरु का अपमान किया है तो सरबजीत, नारायण   ने मिलकर लखबीर का एक हाथ और एक पैर काटकर बैरिकेड से लटका दिया।

पूछताछ के दौरान उन्होंने कहा कि उन्हें कोई अफसोस नहीं है। लखबीर और कुछ ऐसे लोगों ने गुरु साहेब का अपमान पहले भी किया लेकिन उन्हें कोई सजा नहीं मिली।

उनसे यह बर्दाश्त नहीं हुआ ।उन्होंने खुद अपने आप को सरेंडर कर दिया ।हम सब जानते हैं कि सिख कौम शुरू से ही हिंदू या अन्य जाति में भेदभाव नहीं की ।

सिख धर्म हमेशा ही मदद करने के लिए सबसे पहले सामने आते हैं पर किसी को भी कानून हाथ में लेने का हक नहीं है  ।

जाति के नाम पर शुरू से ही दंगे  , झगड़े होते आ रहे हैं। दोस्तों हमें एक दूसरे का साथ देना चाहिए। कोई भी जाति गलत नहीं होती पर जो इंसान गलत काम कर रहा है वहां गलत होता है।

लगभग 1 साल कृषि आंदोलन को होने को आ रहा है। 12 बैठकों के बावजूद सरकार किसानों को तीन कृषि कानूनों का महत्व नहीं समझा पाई।

इसी कारण 19 नवंबर 2021 को अपने भाषण में नरेंद्र मोदी जी ने कहा है कि वहां तीन कृषि कानूनों को  रद्द करवा देंगे।

19 नवंबर 2021 को नरेंद्र मोदी जी का भाषण सुनने के बाद किसानों के चेहरों पर खुशी की लहर आ गई ।किसानों ने आतिशबाजी कि और जगह-जगह मिठाईयां बांटी उनकी प्रशंसा उनके चेहरे से प्रगट हो रहे थी ।

तीन कृषि कानून को रद्द करने के बात सुनकर किसानों ने अपना आंदोलन बंद नहीं किया ।

किसानों ने अपनी 6 मांगी सरकार के सामने  रखी  है ।

  • MSP कानूनी तौर पर लागू हो।
  • बिजली बिल वापिस।
  • पराली कानून से छूट।
  • किसानों पर दर्ज केस वापस हूं।
  • अजय मिश्रा की गिरफ्तारी।
  • सिंधु बॉर्डर पर शहीद स्मारक।

 

MSP का फुल फॉर्म क्या है—  न्यूनतम सपोर्ट प्राइस (minimum support price)।

आजादी के बाद MSP व्यवस्था नहीं थी। हमारा देश खाद्य जरूरतों के लिए अन्य देशों पर निर्भर रहता था।

1964 में अनाज उत्पादन बढ़ाने की पहली कोशिश की गई और लाल बहादुर शास्त्री ने एक कमेटी बनाई।

उन्होंने गेहूं चावल पर MSP (मिनिमम सपोर्ट प्राइस) तय किया।

पहले इस कमेटी का नाम कृषि मूल्य आयोग था पर अब कृषि लागत और मूल्य अयोग्य है।

लाल बहादुर शास्त्री ने MSP के बारे में सोचा और कहा किसानों को उनके उत्पादन किए गए खाद्य पदार्थ के बदले उन्हें न्यूनतम सपोर्ट प्राइस तो मिलना ही चाहिए। लाल बहादुर शास्त्री का नारा रहा है।

जय किसान जय जवान

55 साल पुरानी है MSP व्यवस्था शांता कुमार कमेटी की रिपोर्ट से पता चलता है ।सिर्फ 6 % किसान को MSP का लाभ मिल सकता है ।बाकी 94% किसानों को नहीं मिल सकता।

पंजाब, हरियाणा में 85 % के साथ ऐसे हैं ।जिन्हें एमएसपी से लाभ मिल सकता है ।इसलिए इन राज्यों में आंदोलन ज्यादा हो रहा है ।

सरकार  MSP लागू करना क्यों नहीं चाहती

सरकार MSP पर गेंहू चावल लेती है और गरीबों में 2 रुपए किलो के हिसाब से बांट देती है  ।सिर्फ इसी में नहीं बल्कि अन्य खर्चा भी सरकार को उठाना पड़ता है। जैसे कि मंडी टैक्स, अढति टैक्स , rural development cess, लेबल खर्चा ,अनाज का महंगा स्टोरेज ।

MSP कानून बना तो 23 फसलें खरीदना अनिवार्य हो जाएगा ।MSP कानून से खरीदी फसल 17 लाख करोड़ रुपए का खर्चा होगा इतना खर्च करने के बाद भी 60 % किसानों को मुनाफा नहीं मिलेगा।

MSP क्या है और MSP का फुल फॉर्म क्या होता है?

मिनिमम सपोर्ट प्राइस सरकार ने एक मूल्य लागू करती है ।जो CACP द्वारा तय किया जाता है ।CACP मतलब कमीशन ऑफ़ एग्रीकल्चर कॉस्टसं एंड प्राइसेज ।MSP लागू होने से किसान को उनके हक की कीमत मिल जाती है।

MSP कैसे तैयार किया जाता है ?

शारीरिक श्रम, पशु श्रम, मशीन लेवर,जमीन का किराया, स्थाई पूंजी पर ब्याज, अन्य कीमत को ध्यान में रखकर CACP खाद्य पदार्थ का MSP तय करती है ।

MSP तैयार करने में क्या समस्या आती है?

लागत में विभिन्न धारा मिट्टी की गुणवत्ता में विविधता, पानी की सुविधा में विविधता, जलवायु में विविधता, श्रम करने मे भी  विविधता ।

MSP को लेकर किसान आंदोलन क्यों कर रहे हैं ? MSP खत्म हो जाएगा ,मंडियां बंद हो जाएंगी ,कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में मुश्किलें, राशन दुकान बंद हो जाएंगी ,कालाबाजारी  शुरू हो जाएगी ।

APMC का मतलब क्या होता है ( agriculture marketing committee)एग्रीकल्चरल प्रोड्यूस मार्केट कमिटी ऐसे कृषि बाजार भी कहते हैं क्योंकि किसान अपना उत्पादन किया खाद्य पदार्थ इन मंडियों में बेचता है।

Essasy on farmer protesting in hindi 1000 words.

परिचय–हम सब किसान को  अन्न देवता कहते हैं।तीन कृषि बिल आने के बाद किसानों का आंदोलन शुरू हो गया और वह आंदोलन को किसान आंदोलन कहा जा रहा है।किसान दिन रात मेहनत करके हमारे लिए खाद्य पदार्थ तैयार करता है ।

आजादी मिलने से पहले भी किसान को मुश्किलों का सामना करना पड़ता था और आज भी किसानों को बहुत परेशानियों का सामना करना पड़  रहा है।  किसानों के हित के लिए सरकार ने तीन कृषि कानून बनाए ।

तीन बिलों के नाम इस प्रकार हैं–

  • आवश्यक वस्तु अधिनियम (भंडारण नियम )--इस कानून के मुताबिक व्यापारी और किसान दोनों को यह मौका दिया जाता है कि वहां अपने godown आवश्यक वस्तु ज्यादा से ज्यादा रख सकते हैं। सिर्फ युद्ध या आपदा के समय आवश्यक वस्तु गोडाउन में रखना गलत माना जाएगा।
  • मूल्य आवशासन पर बंदोबस्त और सुरक्षा समझौता(कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग)-– यह कानून सुनने में बहुत अच्छा लगता है कि उत्पादन होने से पहले ही प्राइवेट कंपनी किसानों के खाद्य पदार्थ का मूल्य लगा देंगे ।

सरकार का कहना है जब व्यापार और किसान के बीच समझौता हो जाएगा तो दोनों को ही मुनाफा है ।

एक तरफ किसान को सिर्फ खेती पर ध्यान देना होगा ना कि उसे मुनाफा होगा या नहीं ।

हम सब इस बिल की अच्छाई तो समझ गए अब इसकी हानि भी समझ लेते हैं ।

किसानों का कहना है अगर उत्पादन किए गए वस्तुओं को कंपनी अंतिम क्षण में लेने को मना कर दे तो किसान उस वक्त क्या करेंगे ?

कानून तो कृषि के हित में है अगर किसानों को उनकी चिंता का हल मिल जाए तो।

इस समय सरकार को पंचायत के मुखिया को जिम्मेदारी देनी चाहिए कि अगर कोई गड़बड़ी हो तुम्हें हक दिया जाता है कि आरोपी के खिलाफ अपनी आवाज उठा सकते हैं और किसानों को उसके हक का पैसा दिला सकते हैं।

  • कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य-इस कानून के अनुसार कृषि को अनुमति मिलती है कि वह अपना सम्मान  मंडी में नहीं बल्कि ऑनलाइन भी दे सकते हैं‌।

इससे कृषि और व्यापारी दोनों को फायदा मिलेगा । इस कानून में किसान को ऑनलाइन व्यापार करने का हक मिलता है ।

ऑनलाइन व्यापार करने के साथ-साथ किसानों को अन्य राज्यों में जाकर अपने खाद्य पदार्थ को बेचने की अनुमति दी गई है।

किसान का कहना है कि उनमें इतना खर्च उठाने की क्षमता नहीं है कि वह एक स्थान से दूसरे स्थान जाकर अपना खाद्य पदार्थ भेज सकें।

किसानों के पास इतना वक्त नहीं होता है कि वे ट्रांसपोर्टेशन खर्चा या अन्य खर्चा उठा सकें।

इसी कारण से किसानों को इन तीनों कानून में अपना फायदा नजर नहीं आ रहा है।

kisan andolan खत्म करने के लिए किसान और सरकार के बीच 12 से 13 बैठक हुई।

पहली बैठक उनकी 3  दिसंबर2020 को हुई ‌‌‌। बातचीत के बाद भी सरकार कृषि कानूनों के फायदे किसानों को नहीं समझा पाए।

इस आंदोलन के बीच 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड भी हुई जिसमें धार्मिक झंडे फैलाए गए ।

इस आंदोलन में 600 से ज्यादा किसान शहीद हो गए। आंदोलन के 6 महीना पूरा होने पर किसानों ने ब्लैक डे  बनाया गया

इसी आंदोलन में सिंधु बॉर्डर में लखबीर नाम के व्यक्ति को मारा गया। लखबीर नाम के व्यक्ति नाम  को बड़े बेरहमी से मारा गया।

निहंग का कहना है लखबीर सिंह ने उनके गुरु का अपमान किया। इस वजह से  लखबीर सिंह का एक हाथ और एक पैर काटकर उसे Barricade लटका दिया गया।कोई भी ग्रंथ में नहीं लिखा है कि सजा में आप किसी का हाथ पांव काट दो।

सिख जाति हमेशा सच्चाई के साथ और जरूरतमंदों की मदद करने के लिए हमेशा आगे रहती हैं। कोई भी जाति गलत नहीं होते बल्कि दुष्ट कार्य करने वाले व्यक्ति गलत होते हैं।

इसलिए हमें जाति का नाम नहीं लेना चाहिए ना ही जाति के नाम से लड़ाई झगड़ा करना चाहिए।

गुरु नानक जयंती के दिन 19 नवंबर 2020 नरेंद्र मोदी जी ने अपने घोषणा में तीन कृषि कानून को रद्द करने की बात की इस घोषणा के बाद गाजीपुर ,सिंधु बॉर्डर और अन्य बॉर्डर पर खुशी की लहर आ गई ।

जहां जहां आंदोलन चल रहा था वहां आतिशबाजी हुई और मिठाइयां बांटी गई।

किसी भी कानून को रद्द करने की प्रक्रिया क्या होती है ? अगर कोई भी बिल सिंपल मेजॉरिटी से introduce किया गया है तो वहां सिंपल मेजॉरिटी द्वारा ही repeal  किया जाएगा ।

इसी तरह अगर कोई भी बिल स्पेशल मेजॉरिटी द्वारा introduce किया गया है तो इसे रद्द भी स्पेशल मैच्योरिटी द्वारा किया जाएगा। रद्द कराते समय कृषि बिल के साथ ‘रद्द’ नाम जोड़ दिया जाएगा इसके बाद वह कानून रद्द हो जाएगा।

कृषि कानून रद्द किए जाने के बाद किसानों ने अपनी 6 मांगे सरकार के सामने रखी हैं।

  • एमएसपी संवैधानिक रूप से लागू की जाए।
  • पराली कानून से छूट।
  • बिजली बिल वापसी।
  • किसानों पर दर्ज किया केस वापस हो।
  • अजय मिश्र टेनी की गिरफ्तारी।
  • सिंधु बॉर्डर पर शहीद स्मारक।

निष्कर्ष -किसानों को जब कोई भी कानून उनके हित में नजर नहीं आता तो वहां आंदोलन करने लग गए। उम्मीद है कि Kisan andolan क्या है?(2020-2021)  आप समझे होंगे और सरकार  भी उनके लिए अच्छे से अच्छा कार्य करेगी।

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आशा करती हूं आपको यह आर्टिकल Kisan andolan क्या है? (2020-2021)समझ में आया होगा। अगर आपको यह जानकारी पसंद आई हो तो like , comment और Share करना और subscribe करे।🙏😊

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