Sai Nath Episode (1331-1334)

अपनी कमियों को कैसे दूर करे : Sai Nath Episode In Hindi (1331 -1334)

आज मैं आपको साई की लीलाओं के बारे में बताने वाली हूं इस लेख Sai Nath Episode (1331-1334) के जरिए आप समझेंगे कि अंहकार में डूबे हुए शख्स को कैसे साई नाथ ने सही राह दिखाई ?

Sai Nath Episode (1331-1334)

साई की आराधना करने वाला एक शख्स जिसका कार्य भजन कीर्तन करना और साई की लीलाओं के बारे में बताना होता है ।

आराधना करते कब उसके अंदर अहंकार आ गया उसे खुद भी नहीं पता चला इस भक्त का नाम है दास गणु

दास गणु को साई की लीलाओं के बारे में बताना बहुत अच्छा लगता था लेकिन कुछ विषय होते थे इसके बारे में दास गाणु नहीं जानते थे लेकिन यह स्वीकार करने से उन्हें घबराहट लगती थी और वह सोचते थे कि लोग उनका मजाक उड़ाएंगे ।

दास गणु से भक्त पूछते हैं कि “उपनिषद” का मतलब क्या होता है उन्हें मतलब नहीं मालूम था इसलिए वह बहाना बनाते हैं और कहते हैं कि मैं तुम्हें जल्दी बताऊंगा ।

दास गणु बेहद परेशान हो गए क्योंकि वह सोचते थे कि अगर भक्तों को पता चल गया कि मुझे”उपनिषद”का मतलब नहीं मालूम है तो वह सब मेरा मजाक उड़ाएंगे ।इसी शंका को मन में लिए हुए शिर्डी के साई के पास पहुंच जाते हैं ।

साई के दर पर पहुंचने के बाद वह देखते हैं कि साई के इर्द गिर्द बहुत लोग मौजूद हैं इसलिए वह संकोच करते हुए अपनी बात नहीं कर पाता ।

साई तो अंतर्यामी है , दास गणु की समस्या समझ जाते हैं और कहते हैं बिना संकोच तुम बात करो ।

दास गणु सबके सामने बात नहीं करना चाहता था इसलिए वह मौके की तलाश में थे कि मुझे जैसे ही मौका मिलेगा मैं साईनाथ से अपनी समस्या का निवारण ले लूंगा ।

शिर्डी के वासी एक कीर्तन समागम रखते हैं जिसमें दास गणु के साथी को एक राग नहीं आता है वह नि :संकोच होकर सबके सामने बता देता है कि मुझे यह राग नहीं आता ।

उसकी बहादुरी को देखते हुए साईनाथ उसकी प्रशंसा करते हैं जिसकी वजह से दास गणु को समझ आ जाता है कि अगर कोई चीज आपको समझ नहीं आती है तो निःसंकोच होकर बता देना चाहिए इसमें मजाक उड़ने वाली कोई बात नहीं होती है ।

दास गणु ,साई की बात समझ जाते हैं और अपने मन की बात साई को बता देते हैं ।

साईनाथ कहते हैं कि मैं तुम्हें अभी समझा देता लेकिन कुछ बातें ऐसी होती हैं कि समय से ही समझी जाए तो जीवन भर दिमाग पर वह बात रहती है ।

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Shirdi Sai Baba Ki Kahaniyan in Hindi

“उपनिषद”का अर्थ जाने के लिए आज शिर्डी में कुछ भक्त आने वाले हैं वही तुम्हें इसका अर्थ समझाएंगे ।

साई नाथ का इशारा जिस भक्त की ओर था वही से दास गणु को एक प्रस्ताव मिलता है जिसमें उन्हें कुछ दिनों के लिए शिर्डी में उनके साथ रहने का प्रस्ताव मिलता है ।

जब दास गणु उनके यहां रहने आते जाते हैं तो उनके घर में देखते हैं कि कुल तीन लोग हैं ।

साईनाथ के भक्त और उनकी एक सेविका ,उस सेविका का नाम है गीता ।

💞💞 साई नाथ ने भक्त का  मार्गदर्शन कैसे किया ?

दास गणु सोचते हैं कि शायद इन साई भक्तों को  “उपनिषद” का मतलब पता होगा लेकिन बातचीत के दौरान पता लगता है कि उन्हें इसका मतलब नहीं मालूम तो वह परेशान हो जाता है और साई नाथ से कहता है कि मैं श्रद्धा और सबूरी को अपने साथ में रखता हूं लेकिन फिर भी चिंतित हूं ।

साईनाथ उसे समझाते हुए कहते हैं कि तुम गीता से एक बार बात करके देखो उसे”उपनिषद”का मतलब मालूम है वह तुम्हें अच्छे से समझ सकती है ।

दास गणु कहते हैं कि वह तो खुद मुझे एक श्लोक का अर्थ पूछ रही थी और उसकी बातों से मुझे नहीं लगता है कि वह ज्यादा पढ़ी लिखी है ।

साई नाथ कहते हैं कि अगर तुम्हें उसे पूछना पड़े तो इसका मतलब है कि तुम अभी “उपनिषद”के बारे में समझने के लिए तैयार नहीं हो ।

Sai Nath Episode (1331-1334)

गीता को कीर्तन करने का बेहद शौक है तुम अपने समागम में उसे निमंत्रण करो ताकि वह कीर्तन कर सके और मुझे पक्का यकीन है उसकी संगत से तुम्हें इसका मतलब जरूर समझ आ जाएगा ।

जब दास गणु उसे निमंत्रण करते हैं तो वह साफ-साफ मना कर देती है और कहती है कि मुझे इतने लोगों के सामने गाते हुए घबराहट होगी और मुझे सिर्फ गुनगुनाना आता है , मैं आपके जैसे अच्छे से नहीं कीर्तन कर पाऊंगी ।

गीता के साफ-साफ मना करने पर दास गणु परेशान हो जाते हैं और कहते हैं कि मैं अपनी समस्या का हाल कैसे पाऊं साईनाथ में कहां फंस गया हूं ?

वहीं दूसरी ओर साई के पास एक भक्त आता है और कहता है कि आपकी आशीर्वाद से मेरा कारोबार खूब अच्छा चल रहा है ।मैं आपके लिए एक उपहार लाया हूं ,मुझे मालूम है कि आप अपने पास कुछ नहीं रखते हैं किसी जरूरतमंद को आप इसे दे दीजिए ।

साई नाथ मुस्कुराते हुए कहते हैं कि जिसे तो मेरा आशीर्वाद कहते हो, मैं उसे तुम्हारे कर्मों का फल कहता हूं ।

जो इंसान मेहनत करते हुए मलिक को याद रखता है ,उसके रास्ते की सभी रुकावटें दूर हो जाती हैं ।

यह उपहार तुम दास गणु को दो और कहना कि तुम्हें जो ज़रूरतमन्द लगे उसे यह साड़ी उपहार में दे देना ।

उपहार को देखकर दास गाणु कहता है कि मेरी पत्नी तो शिरडी से काफी दूर है और अभी मेरा कोई प्लान नहीं है कि मैं वह जाऊं तो साड़ी किसके लिए साईनाथ ने भेजी है ?

वह भक्त कहता है कि कोई जरूरतमंद तुम्हारी नजरों के सामने आए तुम उसे यह साड़ी भेंट कर देना ।

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घर में साईं नाथ विभूति कैसे बनाएं (How to make Sai Nath Vibhuti )वही गीता अपने मालकिन से बात कर रही होती है तो चलते वक्त उसकी साड़ी दरवाजे पर फंस जाती है ,जिसके कारण उसकी साड़ी फट जाती हैं । मालकिन कहती है कि तुम मेरी बेटी समान हो चलो ! मैं तुम्हें एक नई साड़ी दिला देता हूं ।

वहीं आ जाते हैं दास गणु और कहते हैं कि साई नाथ ने तुम्हारे लिए एक साड़ी भेजी है ।

गीता को अपने ऊपर आत्मविश्वास की कमी थी लेकिन जब वह साई के सामने खड़ी थी और एक छोटी सी बच्ची ने भक्तों के लिए खिचड़ी बनाने के लिए अपना आत्मविश्वास दिखाया और जताया कि मैं इन सबके लिए बहुत अच्छी खिचड़ी बना सकती हूं तब साईनाथ ने उसे मौका दिया और उसने बेहतरीन खिचड़ी बनाकर सब भक्तों का दिल जीत लिया ।

उस समय साई नाथ ने गीता के सामने कहा कि इंसान को अपने ऊपर विश्वास रखना चाहिए जब वह मालिक की दिए हुए गुणो को पहचान कर उसमें अपनी पहचान बनाता है तो मालिक बेहद प्रसन्न होता है ।

यह बात गीता समझ गई की साईनाथ उसे क्या कहना चाहते हैं ।

उसने मन ही मन में फैसला कर लिया था कि वह दास गणु जी के साथ समागम में कीर्तन करेगी ।

जब गीता ने अपने फैसले के बारे में बताया तो दास गणु ने समझा कि शायद उसके पास नई साड़ी नहीं थी इस वजह से वह समागम में आना नहीं जा रही थी लेकिन जब साड़ी मिल गई तब वहां प्रसन्न होकर समागम में आने का मन बना रही है लेकिन यही दास करूं गलत साबित हुए जब गीता ने समागम में पुरानी साड़ी पहनी और कीर्तन किया ।

जब कीर्तन समाप्त हो गया तब दास गणु ने गीता से पूछा कि तुमने नई साड़ी क्यों नहीं पहनी ?

मैं सोच रहा था कि शायद तुम नई साड़ी के कारण ही कीर्तन करने के लिए तैयार हो गई हो ।

वह कहती है कि जो भी मुझे मलिक के द्वारा प्राप्त हुआ है मैं उसकी बहुत शुक्रगुजार हूं । असल में मेरे अंदर आत्मविश्वास की कमी थी लेकिन साई नाथ की कृपा से वह आत्मविश्वास की कमी भी दूर हो गई है । मेरे पास जो है मैं उसके लिए ईश्वर का धन्यवाद करती हूं ।

गीता की बात समझने के बाद दास गणु को “उपनिषद” समझ आ जाता है फिर वह कहता है कि साई आपकी लीला अपरंपार है क्योंकि आपके कारण ही मुझे ” Upanishad” का मतलब समझ आ गया हैं।

“उपनिषद” का मतलब है कि ईश्वर की दी गई सभी चीजों को अपनाते हुए उसका शुक्रगुजार रहना ।

दोस्तों इस लेख Sai Baba Episode In Hindi (1331 -1334) से आप सभी भक्तों को यह बात समझ आ गई होगी कि भगवान जो भी आपको देते हैं उसमें इंसान को खुश रहना चाहिए और अहंकार को छोड़कर भगवान की आराधना करनी चाहिए और ईश्वर ने जो गुण आपको दिए हैं उसका इस्तेमाल करते हुए अपनी पहचान बनानी चाहिए ।

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