Premanand Ji Maharaj Biography in Hindi

आखिर कौन है प्रेमानंद महाराज जी ? :Premanand Ji Maharaj Biography In Hindi

इस लेख  “Premanand Ji Maharaj Biography In Hindi ” में आपको प्रेमानंद महाराज से जुड़ी सभी बातों के बारे में पता चलेगा ।

Premanand Ji Maharaj Biography in Hindi

हम सब जानते हैं भारत को देवताओं और संतों की भूमि कहा जाता है यहां अक्सर विदेशी शक्तियों द्वारा इस पवित्र भूमि पर आक्रमण किया जाता है और धर्म को समाप्त करने की कोशिश की जाती है लेकिन ईश्वर के बनाए गए इंसान हर बार धर्म की रक्षा के लिए पहुंच जाते हैं उनमें से एक है “प्रेमानंद महाराज”

बहुत से लोगों ने सोशल मीडिया के जरिए प्रेमानंद महाराज का नाम सुना ही होगा ,उनके वचन हमेशा दिल को छूते हैं ।आज इस लेख के माध्यम से प्रेमानंद महाराज का जीवन परिचय आप जाने वाले हैं ।

Premanand Ji Maharaj Birth and childhood (प्रेमानंद जी महाराज जन्म और बचपन

एक ब्राह्मण परिवार में प्रेमानंद महाराज का जन्म उत्तर प्रदेश के कानपुर राज्य में हुआ ।इनका असली नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे है ।

प्रेमानंद महाराज का बचपन बेहद आध्यात्मिक था क्योंकि उनके परिवार के सभी लोग धार्मिक और सात्विक थे ।ऐसे माहौल में उन्होंने परिवार को छोड़कर ब्रह्मचारी जीवन जीने का फैसला किया ।

Premanand Ji Maharaj Biography (प्रेमानंद महाराज का परिचय )

प्रेमानंद महाराज का जन्म – कानपुर
प्रेमानंद महाराज का असली नाम – अनिरुद्ध कुमार पांडे
 पिता जी का नाम – शंभू नाथ पांडे
 माता जी का नाम -रमा देवी
गुरु का नाम -गौरांगी शरण दास महाराज

Premanand Ji Maharaj Family(प्रेमानंद जी महाराज परिवार )

प्रेमानंद महाराज का पूरा परिवार भक्ति में लीन रहता था उनके घर में प्रेमानंद जी को मिलाकर कुल चार सदस्य हैं ।

उनके पिताजी का नाम शंभू नाथ पांडे और माता जी का नाम रमा देवी है । प्रेमानंद जी का बड़े भाई भी है । उन्होंने संस्कृत की पढ़ाई की थी  ,इसी कारण अपने घर के सदस्यों को संस्कृत के कई धर्म ग्रंथ पढ़कर सुनाया करते थे ,जैसे कि हमने पहले ही आपको बताया है कि इनका पूरा परिवार धर्म और भक्ति के मार्ग पर चलता आया है ।

बचपन से ही प्रेमानंद महाराज का मन ईश्वर की भक्ति की ओर लग गया क्योंकि उनके घर का माहौल आध्यात्मिक रहा है । जिस उम्र में बच्चों का मन खेलने कूदने में लगा रहता है उस उम्र में प्रेमानंद महाराज का मन ईश्वर की भक्ति और उनके बारे में जाने की जिज्ञासु भरी रहती थी ।

Premanand Ji Maharaj Biography In Hindi

❤️❤️श्रीमद्भागवत और हनुमान चालीसा का पाठ प्रेमानंद महाराज जी ने बचपन से ही करना शुरू कर दिया था उनके बड़े भाई संस्कृत की पढ़ाई की थी और वे दोनों मिलकर रोजाना प्रभु की स्तुति के लिए कार्य करते थे ।

कहते हैं दोस्तों बाल मन में जो बीज बोया  जाता है वही उगता है । जब प्रेमानंद महाराज ने अपने चारों ओंर आध्यात्मिकता देखी तो उनके मन में भी आध्यात्मिकता ही जाएगी ।

मात्र 13 वर्ष की आयु में प्रेमानंद महाराज ने घर गृहस्ती छोड़कर ब्रह्मचारी बने का फैसला लिया ।जब वह स्कूल में जाया करते थे इनका ध्यान आध्यात्मिक की ओर ज्यादा विकसित हो रहा था ,जिसके कारण इन्हें अन्य कार्य मोह माया जैसे लगते थे और उन्होंने फैसला किया कि वह ईश्वर की भक्ति में अपना जीवन व्यतीत करेंगे ।

प्रेमानंद जी महाराज का आध्यात्मिक जीवन । Premanand Ji Maharaj Spiritual Life

घर छोड़ने के बाद प्रेमानंद महाराज ने कुछ दिन नंदेश्वर धाम में बिताए फिर उनका मन वाराणसी में प्रवेश करने का किया ।

तपस्वी जीवन जीना कोई आसान कार्य नहीं होता लेकिन प्रेमानंद महाराज ने तपस्वी बनने का  फैसला किया इसलिए जब वह वाराणसी में पहुंचे तो इन्होंने निश्चय कर लिया कि चाहे भीषण ठंड हो या भारी बारिश  ,दिन में तीन बार गंगा में स्नान करेंगे और पीपल के पेड़ के नीचे भगवान शंकर की आराधना करेंगे ।

आजीविका चलाने के लिए प्रेमानंद महाराज एक भिक्षुक के रूप में रहने लगे ।उन्हें खाना दिया जाता तो  खा लेते नहीं तो गंगाजल पी कर ही रह लेते ।

भगवा कपड़ा उस समय नहीं था इसलिए शरीर को ढकने के लिए बोरी का इस्तेमाल करते थे और बोरी से ही अपने शरीर को ढक लिया करते थे ।

प्रेमानंद महाराज ने अपना धर्म पूरी निष्ठा से निभाया ,प्रेमानंद महाराज के गुरु थे जिनका नाम श्री गौरंगी शरण था ,प्रेमानंद महाराज ने उनकी सेवा 10 वर्षों तक की ।

💥💥💥प्रेमानंद महाराज वृंदावन कैसे पहुंचे ?

हमेशा की तरह प्रेमानंद महाराज तुलसी घाट पर भगवान शंकर जी की आराधना कर रहे थे ।उनके मन में विचार आया कि श्री कृष्ण का वृंदावन कैसा होगा ?लेकिन उन्होंने अपने मन में आए विचार को नजर अंदाज किया और गुरु की आराधना में लीन हो गए ।

❤️एक दिन एक अज्ञात व्यक्ति महाराज के सामने आए और कहा की धार्मिक कार्यक्रम की तैयारी चल रही है और उन्हें आने के लिए आमंत्रित किया ।

उस व्यक्ति ने बताया कि इस कार्यक्रम में चैतन्य लीला दिन के समय और रासलीला रात के समय होने वाली है ।

इस प्रस्ताव को सुनने के बाद प्रेमानंद जी ने मना कर दिया लेकिन उस सज्जन पुरुष ने बार-बार अनुरोध किया इसलिए प्रेमानंद जी वह जाने के लिए मान गए ।

प्रेमानंद को वह जाकर इतनी संतुष्टि लगी कि वह ऐसा कार्यक्रम हमेशा देखना चाहते है इसलिए जिस व्यक्ति ने यह कार्यक्रम आयोजित किया था उनसे पूछने लगे कि यह कार्यक्रम मैं हमेशा कैसे देख सकता हूं ? उन्होंने उत्तर दिया कि आपको ऐसा कार्यक्रम वृंदावन में देखने को मिलेगा ।

एक बार की बात है जब एक सात्विक जोड़ा प्रेमानंद महाराज से मिलने आया और उन्होंने प्रेमानंद जी को प्रसाद देना चाहा लेकिन प्रेमानंद महाराज जी ने कहा कि मेरे जैसे यहां अन्य लोग भी हैं अपने उन लोगों को प्रसाद नहीं दिया ऐसा क्यों ?

यह सात्विक जोड़ा कहता है कि हमें दिल से इच्छा हुई कि प्रसाद आपको देना चाहिए फिर वह लोग प्रेमानंद महाराज को अपनी कुटिया में भोजन करने के लिए आमंत्रित करते हैं ।

प्रेमानंद जी उनके साथ उनकी कुटिया जाते हैं , बातों ही बातों में वह वृंदावन जाने की अपनी इच्छा प्रकट करते हैं और कहते हैं कि मेरा वृंदावन जाने की इच्छा है लेकिन “जाने का योग नहीं बन रहा है ” उस सज्जन पुरुष ने कहा कि आप वृंदावन जाने की तैयारी रखें मैं अभी आता हूं ,वह ट्रेन की टिकट लेकर आता है और प्रेमानंद महाराज को दे देता है ।

वृंदावन पहुंचने के बाद प्रेमानंद महाराज राधा वल्लभ नामक संप्रदाय के सथ जुड़ गए और तपस्वी जीवन त्याग दिया ।राधा और कृष्ण की भक्ति में इतने लीन हो गए कि वह दिन-रात आराधना में लीन रहते थे ।

प्रेमानंद जी ने बाकी संतों के साथ वही रहने का विचार बना लिया और दुनिया को ज्ञान देने लगे ।

Premanand Ji Maharaj Kidney (प्रेमानंद जी महाराज किडनी का रोग )

एक बार प्रेमानंद महाराज को पेट में दर्द होने लगा जिसके कारण उन्हें रामकृष्ण मिशन हॉस्पिटल में लेकर गए । उस समय प्रेमानंद महाराज की आयु 35 वर्ष की थी और डॉक्टर के मुताबिक उनकी दोनों किडनी फेल हो चुकी है ।

डॉक्टर का कहना है दोनों किडनी खराब होने के कारण उनकी जिंदगी महज चार-पांच साल ही बची है ।

प्रेमानंद महाराज डायलिसिस के लिए हफ्ते में तीन – चार बार अस्पताल जाते हैं और उनके आश्रम में उनके स्वास्थ्य की सारी व्यवस्थाएं की गई है ।डॉक्टरों की भविष्य वाणी को आज 17 साल बीत चुके हैं फिर भी महाराज जीवित है ।Read more👇👇👇

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Premanand Ji Maharaj Age(प्रेमानंद जी महाराज आयु ) /प्रेमानंद जी महाराज की उम्र कितनी है?

जन्मतिथि की कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है लेकिन प्रेमानंद महाराज के अनुसार उनकी आयु 60 वर्ष से अधिक की है ।

प्रेमानंद जी महाराज आश्रम पता वृंदावन | Premanand Ji Maharaj Ashram Address

प्रेमानंद महाराज का आश्रम वृंदावन में है ।प्रेमानंद महाराज से वृंदावन में जाकर कोई भी व्यक्ति मिल सकता है और उनके उपदेश सुन सकता है ।

Address

श्री हित राधा केली कुंज

वृन्दावन परिक्रमा मार्ग, वराह घाट,

भक्तिवेदांत धर्मशाला के सामने,

वृन्दावन-281121

उत्तर प्रदेश

Q प्रेमानंद महाराज से कैसे मिल सकते हैं?

Ans.प्रेमानंद महाराज से मिलना चाहते हैं तो आपको token लेना होगा तब आप अकेले में उनसे 1 घंटे के लिए वार्तालाप कर सकते हैं ।

Q.प्रेमानंद बाबा के गुरु कौन है?

Ans.प्रेमानंद महाराज के गुरु गौरांगी शरण दास महाराज है ।प्रेमानंद जी अपने गुरु से हर गुरुवार को मिलने के लिए जाते हैं ।

Q.प्रेमानंद महाराज की दिनचर्या क्या है?

Ans.प्रेमानंद महाराज सुबह 2:00 बजे उठ के वृंदावन की परिक्रमा करते हैं , सुबह 3:30 से 5:30 तक भक्तों के साथ सत्संग करते हैं । उनकी किडनी फेल होने के बावजूद भी वह अपने दैनिक कार्य खुद करते हैं ।

Q.प्रेमानंद जी महाराज का दर्शन कैसे करें?

Ans.प्रेमानंद महाराज के दर्शन करना चाहते हैं तो रात 2:30 बजे के करीब आपको आश्रम पहुंचना पड़ेगा क्यों प्रेमानंद महाराज निवास स्थान से आश्रम पैदल चलकर जाते हैं तब उनके दर्शन आप कर सकते हैं ।

Q. प्रेमानंद जी महाराज कितने घंटे सोते हैं?

Ans.प्रेमानंद महाराज 3 घंटे की नींद लेते हैं ।

Premanand Ji Maharaj Social Media Platforms  Links and followers 

Conclusion

इस लेख में हमने प्रेमानंद महाराज के जन्म से लेकर अब तक की यात्रा के बारे में बताने का प्रयास किया है , उम्मीद है कि आपको यह जानकारी पसंद आई होगी ।

आर्टिकल की जानकारी पसंद आई हो तो इस सोशल मीडिया के जरिए लोगों के पास पहुंचने में हमारी मदद करें ।

Author

  • dailygyankasagar

    मेरा नाम दीपा है ।मैं उड़ीसा से हूं ।मुझे किताबें पढ़ना और लोगों की मदद करना बहुत पसंद है। मेरी  रुचि हमेशा नया सीखने में और सिंगिंग में रही है। कहते हैं अगर अपने passion को profession बना लो तो जिंदगी जीने  में आनंद आने लग जाता है। यह बात मैंने किताबों से और महान व्यक्तियों से सीखी है।

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